Saturday, May 9, 2009

क्या गूगल को मार देगा वोल्फ्राम अल्फा


गूगल दुनिया का सबसे बेहतर सर्च इंजिन है. यदि आप इंटरनेट पर सर्फिंग करते हैं तो गुगल का इस्तेमाल करते ही होंगे. बिना गुगल के ओनलाइन जीवन की कल्पना ही असम्भव है.

लेकिन क्या गूगल का कोई विकल्प नहीं हो सकता है?
शायद हो सकता है. एक ब्रिटिश भौतिकशाष्त्री स्टीफन वोल्फ्राम ने एक नया सिस्टम विकसित किया है, जिसे सर्च इंजिन की दुनिया में एक क्रांतिकारी कदम के दौर पर देखा जा रहा है.
स्टीफन के उपनाम पर इस सर्च इंजिन का नाम “वोल्फ्राम अल्फा ” रखा गया है. इसकी साइट पर लिखा है "Computational Knowledge Engine" यानी कि यह मात्र एक सर्च इंजिन ही नहीं उससे कहीं आगे है.

वोल्फ्राम आपकी खोज का सीधा जवाब देता है. यानी कि किसी विषय पर खोज करने पर आपको बजाय कडियों के सीधा जवाब मिल जाता है.

हालाँकि अभी तक यह सिस्टम विकास की अवस्था में है, लेकिन कुछ जानकार इसे अभी से “गूगल कीलर” कहने लगे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. वोल्फ्राम अल्फा को गूगल कीलर कहना गलत होगा, क्योंकि इन दोनों का आचार और व्यवहार एकदम अलग है. गूगल जहाँ आपकी खोज के अनुरूप वेब कडियाँ प्रदर्शित करता है, वोल्फ्राम खोज के अनुरूप आँकड़े ग्राफिक स्वरूप तथा टेक्सट स्वरूप में प्रदर्शित करता है.

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपको कुतुब मीनार और मुम्बई की ऑबेराय होटल की ऊँचाईयों का समीकरण देखना है तो आपको इससे संबंधित सर्च वोल्फ्राम में डालनी होती है. इसके बाद यह सिस्टम विभिन्न स्रोतों से आँकडे जुटाता है और उसका पूर्व निर्धारित तरीके से विश्लेषण कर आपके लिए जवाब प्रस्तुत कर देता है. यही नहीं आपको इस खोज से संबंधित अन्य जानकारियाँ तथा कडियाँ भी मिल जाती है.

वोल्फ्राम विकीपीडिया से भी अलग है, क्योंकि विकी पर जहाँ सामान्य प्रयोक्ताओं के द्वारा जानकारियाँ डाली जाती है, वोल्फ्राम विभिन्न स्रोतों से जानकारियाँ लेता है तथा इन आँकडों की विशेषज्ञों द्वारा जाँच भी की जाती है.

वोल्फ्राम दरअसल इंटरनेट के विकास की अगली कड़ी है. अभी तक यह सिस्टम आम जनता के लिए नहीं खुला है, लेकिन इस माह के अंत तक यह सभी के लिए खोल दिया जाएगा.

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