Saturday, May 9, 2009

एड्स का इलाज खोज लिया गया

यदि कुछ चिकित्सकों की मानें तो यह सच है. एड्स दुनिया की सबसे घातक बिमारी बताई जाती है, एक ऐसी बिमारी जिससे मृत्यु निश्चित होती है. एड्स को टाला जा सकता है लेकिन होने के बाद उससे बचा नहीं जा सकता.

लेकिन अब चिकित्सकों ने एड्स का भी इलाज ढूंढ लिया है. और इस इलाज को ढूंढने में मदद की दूसरी घातक बिमारी यानी कैंसर ने!

एक ब्रिटिश समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होनें एचआईवी वाइरस से निपटने का तरीका ढूंढ लिया है और यह तरीका लम्बे समय से कैंसर जैसी घातक बिमारी से लडने के लिए इस्तेमाल होता आया है. यह तरीका है – बोन मॉरो प्रत्यारोपण.

चिकित्सकों ने हाल ही में एक 43 वर्ष के व्यक्ति पर इसका सफल प्रयोग किया. यह व्यक्ति पिछले कुछ सालों से एड्स से ग्रस्त था और उसे ल्यूकेमिया भी था. चिकित्सकों ने इस व्यक्ति के बोन मॉरो को एक दूसरे व्यक्ति – जिसके शरीर में एड्स से लडने की ताकत प्राकृतिक रूप से मौजूद है – के बोन मॉरो से बदल दिया.

इसके बाद कुछ ही महिनों में इसके परिणाम दिखाई देने लगे. आज इस इलाज के तीन साल बाद वह व्यक्ति सम्पूर्ण स्वस्थ है. चिकित्सकों का दावा है कि उसके शरीर में से एचआईवी वाइरस का खात्मा हो चुका है और अब वह कभी वापस नहीं आ पाएगा.

तो क्या एड्स का इलाज अब सम्भव है?

वैज्ञानिकों की मानें तो अगले पाँच साल में एड्स की बिमारी से कोई मौत नहीं होगी. क्योंकि तब तक यह तकनीक और भी अधिक विकसित हो जाएगी और एड्स का इलाज एक आम इलाज होगा.

लेकिन यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि दुनिया में एड्स से लडने की प्राकृतिक रूप से ताकत रखने वाले लोगों की संख्या 3% से अधिक नहीं है. यह काफी कम संख्या है जबकि एड्स के रोगी करोड़ों में हैं.

लेकिन वैज्ञानिकों ने इसका हल भी सोच लिया है. उनका दावा है कि भविष्य में एक बोन मॉरो का इस्तेमाल कर लेबोरेटरी में ही उसके अंसख्य प्रतिरूप बनाए जा सकेंगे.
एड्स एक घातक बिमारी जरूर है पर अब इसकी रोकथाम सम्भव है.

क्या गूगल को मार देगा वोल्फ्राम अल्फा


गूगल दुनिया का सबसे बेहतर सर्च इंजिन है. यदि आप इंटरनेट पर सर्फिंग करते हैं तो गुगल का इस्तेमाल करते ही होंगे. बिना गुगल के ओनलाइन जीवन की कल्पना ही असम्भव है.

लेकिन क्या गूगल का कोई विकल्प नहीं हो सकता है?
शायद हो सकता है. एक ब्रिटिश भौतिकशाष्त्री स्टीफन वोल्फ्राम ने एक नया सिस्टम विकसित किया है, जिसे सर्च इंजिन की दुनिया में एक क्रांतिकारी कदम के दौर पर देखा जा रहा है.
स्टीफन के उपनाम पर इस सर्च इंजिन का नाम “वोल्फ्राम अल्फा ” रखा गया है. इसकी साइट पर लिखा है "Computational Knowledge Engine" यानी कि यह मात्र एक सर्च इंजिन ही नहीं उससे कहीं आगे है.

वोल्फ्राम आपकी खोज का सीधा जवाब देता है. यानी कि किसी विषय पर खोज करने पर आपको बजाय कडियों के सीधा जवाब मिल जाता है.

हालाँकि अभी तक यह सिस्टम विकास की अवस्था में है, लेकिन कुछ जानकार इसे अभी से “गूगल कीलर” कहने लगे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. वोल्फ्राम अल्फा को गूगल कीलर कहना गलत होगा, क्योंकि इन दोनों का आचार और व्यवहार एकदम अलग है. गूगल जहाँ आपकी खोज के अनुरूप वेब कडियाँ प्रदर्शित करता है, वोल्फ्राम खोज के अनुरूप आँकड़े ग्राफिक स्वरूप तथा टेक्सट स्वरूप में प्रदर्शित करता है.

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपको कुतुब मीनार और मुम्बई की ऑबेराय होटल की ऊँचाईयों का समीकरण देखना है तो आपको इससे संबंधित सर्च वोल्फ्राम में डालनी होती है. इसके बाद यह सिस्टम विभिन्न स्रोतों से आँकडे जुटाता है और उसका पूर्व निर्धारित तरीके से विश्लेषण कर आपके लिए जवाब प्रस्तुत कर देता है. यही नहीं आपको इस खोज से संबंधित अन्य जानकारियाँ तथा कडियाँ भी मिल जाती है.

वोल्फ्राम विकीपीडिया से भी अलग है, क्योंकि विकी पर जहाँ सामान्य प्रयोक्ताओं के द्वारा जानकारियाँ डाली जाती है, वोल्फ्राम विभिन्न स्रोतों से जानकारियाँ लेता है तथा इन आँकडों की विशेषज्ञों द्वारा जाँच भी की जाती है.

वोल्फ्राम दरअसल इंटरनेट के विकास की अगली कड़ी है. अभी तक यह सिस्टम आम जनता के लिए नहीं खुला है, लेकिन इस माह के अंत तक यह सभी के लिए खोल दिया जाएगा.

Friday, May 1, 2009

गूगल बना अव्वल ब्रांड


इंटरनेट सर्च इंजन का बादशाह गूगल विश्व का अव्वल ब्रांड बन गया है. ऐसा पहली बार नहीं है जब गूगल को विश्व का श्रेष्ठ ब्रांड घोषित किया गया है. इससे पहले भी गूगल ही यह खिताब हासिल करता आया है.

यही नहीं, गूगल 100 अरब मूल्य के स्तर को भी छू चुका है.

चौथे वार्षिक ब्रांड्ज टाप 100 की सूची के मुताबिक, गूगल 100 अरब डालर मूल्य के साथ विश्व का नंबर वन ब्रांड बन गया है और रैंकिंग में यह माइक्रोसाफ्ट से आगे है, जिसका ब्रांड मूल्य 76.2 अरब डालर आंका गया है.

Enable Or Disable Task Manager in Windows XP Home & Professional

• Click Start
• Click Run
• Enter gpedit.msc in the Open box and click OK
• In the Group Policy settings window
o Select User Configuration
o Select Administrative Templates
o Select System
o Select Ctrl+Alt+Delete options
o Select Remove Task Manager
o Double-click the Remove Task Manager option

Tuesday, April 28, 2009

शोर्टकट ही शोर्टकट, हर सोफ्टवेर के शोर्टकट

कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते हों तो उंगलियाँ हमेशा कीबोर्ड पर ही होती हैं. बदलते जमाने के साथ मल्टीटच स्क्रीन और मोशन सेंसिंग डिवाइज भी आ गई है, लेकिन कीबोर्ड का महत्व अभी भी बना हुआ है. लेकिन माउस भी उतना ही महत्वपूर्ण है, और इन दोनों का सही तालमेल कम्प्यूटर पर काम करने के मजे को दुगना कर देता है.

लगभग हर सोफ्टवेर में कोई ना कोई कीबोर्ड शोर्टकट तो दिया हुआ होता है. तो अगर माउस पर निर्भरता कम कर अपने काम को फटाफट निपटाना चाहते हैं तो हमारी आज की ईस्रोत साइट देखें.

इस साइट पर लगभग हर सोफ्टवेर के शोर्टकट दिए हुए हैं चाहे फोटोशोप हो या विनएम्प या विंडोज़ एक्सपी. शोर्टकट ही शोर्टकट.

Saturday, April 18, 2009

यूट्युब के वीडियो आसानी से डाउनलोड करें


क्या आप किसी यूट्युब वीडियो को डाउनलोड करना चाहते हैं. यूँ तो और भी कई विकल्प है लेकिन यह विकल्प अपेक्षाकृत सरल तथा बेहतर है. आपको बस इतना करना है कि इस साइट पर जाकर वांछित वीडियो का यूआरएल डालना है.

इसके बाद आपको वांछित वीडियो फोर्मेट जैसे कि MP4, FLV, 3GP आदि पसंद करना है, और बस डाउनलोड कर लेना है.

इस साइट पर पंजीकरण करने की आवश्यकता भी नहीं है तथा आवरण सुंदर और सरल है.

Tuesday, April 14, 2009

रसायनशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए अति उपयोगी साइ


यह साइट सचमुच में काफी उपयोगी है, ना केवल रसायनशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए बल्कि विज्ञान में रूचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए भी. इस साइट पर सभी धातुओं के पिरियड टेबल दिए हुई हैं.

किसी भी धातु के नाम पर क्लिक करिए और एक पोपअप खिडकी खुल जाएगी और उस पदार्थ की विकीपीडिया जानकारी मिल जाएगी. इसके अलावा ये टेबल पीडीएफ और चित्र के रूप में डाउनलोड भी किए जा सकते हैं. सबसे अच्छी बात – यह साइट हिन्दी में भी है.

पासवर्ड सुरक्षित रखने के 10 आसान तरीके


क्या आप जानते हैं पिछले वर्ष हर 13 में से 1 व्यक्ति ने पासवर्ड हैक हो जाने की वजह से आर्थिक नुकसान उठाया था. लेकिन आप अपना पासवर्ड सुरक्षित रख सकते हैं. निम्नलिखित 10 आसान तरीकों को अपनाइए.

  1. साइबर अपराधी को अनुमान लगाने का मौका ना दें. अपने पासवर्ड को अपने परिचित अथवा स्नेही के नाम पर ना रखें.
  2. साइबर अपराधी काफी शातिर होते हैं. इसलिए अपने पासवर्ड में अपनी कोई भी निजी बात समाहित ना करें.
  3. दो से अधिक साइटों पर एक ही प्रकार का पासवर्ड ना रखें. क्या आपने हर साइट पर एक ही पासवर्ड रखा है? यदि हाँ तो आपने बेहद असुरक्षित तरीका अपनाया है. तुरंत प्रभाव से महत्वपूर्ण साइटों पर से अपने पासवर्ड बदल दीजिए.
  4. आज तकनीक काफी विकसित हो गई है. अब पासवर्ड पहचानने वाले सोफ्टवेर भी उपलब्ध हो गए हैं. इसलिए जटील पासवर्ड बनाना मजबुरी हो गई है. अपने पासवर्ड को छोटा ना रखें.
  5. पासवर्ड पहचानने वाले सोफ्टवेर 1 सेकंड में 2 लाख पासवर्ड पहचान सकते हैं! आपको अपने पासवर्ड में अंक, अक्षर और विशेष अंकों का इस्तेमाल करना चाहिए.
  6. बेहतर होगा यदि आप अपने पासवर्ड में अंग्रेजी के लॉवर केस और अपर केस दोनों का इस्तेमाल करें. उदाहरण के लिए goodpassword की जगह GooDpAsswoRd अच्छा विकल्प है.
  7. कुछ अंकों की जगह विशेष संकेतों का उपयोग कर आप साइबर अपराधियों को धोखा नहीं दे पाएंगे. उदाहरण के लिए “1nd1@” यह पासवर्ड भी असुरक्षित है. इसलिए कोई भी शब्दकोष शब्द का इस्तेमाल पासवर्ड बनाने में ना करें.
  8. लगातार आने वाले अंकों और अक्षरों का इस्तेमाल सपने में भी ना करें. उदाहरण के लिए “1234567”, “asdfghj”, “abcdefg”.
  9. पासवर्ड बनाते समय गलत स्पेलिंग का इस्तेमाल सही कदम है. उदाहरण के लिए “India” की जगह “Endiyeah” सही विकल्प है.
  10. अलग अलग साइटों पर बनाए गए अलग अलग पासवर्डों को याद रखने के लिए “पासवर्ड मैनेजर” जैसी अप्लिकेशन का उपयोग कर सकते हैं.


यह कुदरत का करिश्मा ही कहा जा सकता है. और ऐसा चिकित्सा के इतिहास में पहली बार हुआ है. वास्तविक तस्वीर - विचलित कर सकती है

रूस के चिकित्सकों ने एक व्यक्ति के फेफड़ॆ में पांच सेंटीमीटर लंबा पौधा पाया है.

इस व्यक्ति का नाम अर्टियम सिडार्किन है जो रूस में यूराल क्षेत्र के इझेवस्क शहर का निवासी है.

रूस के अखबार कोम्सोमोल्स्काया प्राव्डा में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सिडोर्किन ने अपनी छाती में तेज दर्द तथा खांसी के साथ खून आने की शिकायत की थी.

बाद में चिकित्सकों ने पाया कि उस व्यक्ति की छाती में पौधा था. अब इसे पौधे को आपरेशन कर निकाल दिया गया है.

लेकिन चिकित्सकों के लिए यह अचरज की बात थी. जैसा कि डाक्टर व्लादीमिर कामाशेव ने कहा - जब मैंने उसका एक्सरे देखा तो मेरी पलकें कई बार झपकी.

लेकिन यह हुआ कैसे?

चिकित्सकों का अनुमान है कि अर्टियम ने संभवत: कोई बीज निगल लिया होगा जिससे यह पौधा उग आया.

Sunday, April 12, 2009

अपनी पीडीएफ तथा पावरपोइंट फाइलें कैसे साझा करें?


यूट्यूब वीडियो फाइलें साझा करने का सर्वोत्तम माध्यम है. लेकिन यदि आप अपनी पावरपोइंट, पीडीएफ तथा ओपन ऑफिस की फाइलें साझा करना चाहें तो क्या करेंगे? इस काम के लिए यह साइट आपकी मदद करेगी. स्लाइडशेयर यूट्यूब जैसी ही वेब 2.0 साइट है, जहाँ फाइलें साझा करने के विजेट दिए गए हैं.

यहाँ आप अपनी फाइलें को सब लोगों के साथ अथवा निजी समूह के साथ साझा कर सकते हैं.

अब ईमेल में फोटो लगाना हुआ आसान


यदि आप जीमेल का प्रयोग करते हैं तो आपके लिए यह शुभ समाचार है. आज तक आप तस्वीरों को अटैच कर भेजते थे, लेकिन अब आप तस्वीरों को ईमेल के भाग के रूप में भेज सकते हैं, यानी कि अब आप तस्वीरों को ईमेल बॉडी में लगा सकते हैं.

जीमेल ने एक नया लेब फीचर जोडा है. जीमेल के लेब बटन पर क्लिक करिए और "Inserting images" विकल्प को चुन लीजिए.

इसके बाद आपको जीमेल के टुलबार पर एक नया आइकोन दिख जाएगा. उस आइकोन को दबाने पर आप किसी भी तस्वीर को या तो अपने पीसी से अथवा किसी यूआरएल से उठाकर ईमेल में लगा पाएंगे.
आजमा कर देखिए.

Friday, April 10, 2009


गूगल इमैज सर्च ने एक मजेदार सुविधा जोड़ी है. अब आप इमैज सर्च करने के बाद सर्च के नतीजों को रंगो के हिसाब से वर्गीकृत भी कर पाएंगे.
उदाहरण के लिए आप “Rose” खोज करें. जब आपको नतीजे प्राप्त हो जाएँ तो उपर दिए गए “All Color” ड्रोप डाउन मेनु में से अपना पसंदीदा रंग चुन लें. उसके बाद गूगल आपको उसी रंग के नतीजे दिखाएगा. यानी कि यदि आपको पीला गुलाब सर्च करना है तो आप वह भी कर सकते हैं.
आप रंग के वर्गीकरण को अन्य फिल्टर से जोड भी सकते हैं. उदाहरण के लिए यदि आपको पीले गुलाब का क्लिपआर्ट चाहिए तो इमैज टाइप में क्लिपआर्ट और ऑल कलर्स में पीला रंग चुन लें.



दुनिया भर मे फैल रहे मेलवेर और स्पाईवेर के खतरों की वजह से आम प्रयोक्ता इतना घभराया हुआ है कि वह नाना प्रकार के एंटीवाइरस सॉफ्टवेर या तो डाउनलोड कर अथवा खरीद कर अपने सिस्टम में इंस्टाल कर रहा है. लेकिन कम लोग जानते हैं कि इनमे से अधिकतर एंटीवाइरस मूल वाइरसों के एजेंट की तरह काम करते हैं!
माइक्रोसोफ्ट कोर्प. हर दो साल बाद सेक्यूरिटी इंटेलिजेंस रिपोर्ट प्रकाशित करता है. इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार वाइरस संबंधित शीर्ष 25 खतरों में से 7 इसी प्रकार के एंटीवाइरस सॉफ्टवेरों से आते हैं. माइक्रोसोफ्ट के अनुसार 2008 में उसने करीब 40 लाख कम्प्यूटरों को बोगस सुरक्षा प्रोग्राम से मुक्त कराया था.
वाइरस और मेलवेर से बचने के लिए हम आनन फानन में कोई भी अज्ञात एंटीवाइरस प्रोग्राम इंस्टाल कर लेते हैं, लेकिन इस तरह के प्रोग्राम हमारे पीसी को वाइरस से बचाने की बजाय खुद वाइरस की तरह काम करने लगते हैं.
इसलिए किसी भी एंटीवाइरस को इंस्टाल करने से पहले वेब पर उसके बारे में जाँच अवश्य कर लेनी चाहिए.

Thursday, April 9, 2009

WELCOME TO PARAM